मोक्ष

नहीं स्वीकार मुझे  मोक्ष   जीवन के उस पार 
किसने देखा, किसने समझा, मोक्ष  का वह अवतार !
गर किसी ने देखा भी, तो मैं नहीं वह महावतार !!

मेरा  मोक्ष   मेरा जीवन, 
मेरा  मोक्ष  मेरा जीवन सौंदर्य 
मोक्ष मेरी जीवन संघर्ष यात्रा 
मोक्ष मेरा जीवन संतोष !!

मोक्ष आह्लाद,  मोक्ष मेरा प्यार, मेरा दुलार 
मोक्ष मेरी पूजा, मेरा अर्पण 
मोक्ष अपने वो, जिनसे शीतल, मैं पूर्ण !

मोक्ष मैं अप्पूर्ण यात्री,आगे बढ़ता, पूर्णता तलाशता 
मोक्ष मेरा जप, मेरा तप, मेरी तपस्या 
मोक्ष मेरा संस्कार, सद्भाव व सदरभाव !

मोक्ष समष्टि समर्पन, दरिद्र नारायण के प्रति यथाशक्ति अर्पण, 
मोक्ष मेरे अभिन्न, अंतरंग और परिवार; उनका सान्निध्य  
हंसी मज़ाक,प्यार दुलार, लड़ना झगरना,रूठना मनाना - इनके सौंदर्य मेरे मोक्ष!

मोक्ष प्रकृति का प्रसाद, ब्रह्माण्ड की उष्णता व शीतलता, 
जाड़े की धुप की मदहोश किरणे,
जेठ की दुपहरिये में पीपल की शीतल बयार,
आम की गाछी की हरियाली छाव् !

शैशव, बचपन, यौवन, विवाहित, प्रौढ की दहलीज पर की  अनुभूति और यादें,
मेरा हर्ष  मेरा विषाद मेरी पीड़ा मेरा मर्म, 
मेरा रोष, मेरा जोश, मेरा अल्लहड़पन, 
मेरी जिद्द, मेरी ध्रिस्टता, इनकी आवृति और इनसे निवृति 
जीवन के यही मोक्ष  !!

मेरा अस्तित्व, मेरी कल्पना, मेरे सपने 
मेरे  शब्द. मेरी संगीत. मेरी साधना.  मेरे सृजन. मेरे निर्माण 
मेरा  महामोक्ष !!

अपनों का स्नेह, अपनों का अपनापन, अपनों का और-और का क्रंदन 
यह विलक्षण अनुभूति ही तो  मोक्ष ! 
मोक्षमेरा भगवद अनुराग, भगवद आशीर्वाद,
अपनों को, अपनों के लिए, अर्जित भगवद व  भौतिक प्रसाद ही तो मोक्ष !!

सद्कर्मों, सद्भावों, सदाचार के गंगा जल का प्राक्छालन महा मोक्ष !!!!!!!!

जो  मोक्ष   मिले जीवन पार  तो फिर बसेरो करों इस जग माहीं  !!!!!!!

मोक्ष नहीं स्वीकार मुझे जीवन के उस पार 
किसने देखा, किसने समझा  मोक्ष  का वह अवतार 
गर किसी ने देखा भी तो मैं नहीं वह महावतार !!



Comments

  1. राजीव जी की इन पंक्तियों में जीवन को निकट से देखने और उसकी अनुभूति में खुद को समाहित करने में जो आह्लाद है उसका जीवन वर्णन है। कविमन जीवन के विस्तार को जीवन का मर्म मानता है और इसे ही इसकी परिणति भी।

    जो किसे ने देखा नही उसके प्रति लालायित होने की बजाय जो आज उपलब्ध है उसे पूर्णतया गर्हित करना ही जीवन का मोक्ष है।
    साधुवाद के साथ, सशंदु

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  2. अनुभव और जीवन के हर पक्ष की अनुभूति ही इतनी उत्कृस्ट रचना की उत्पति का कारण बन सकती है ...मोक्ष के सही मायने को दर्शाने के लिए साधुवाद भइआ .

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  3. बहुत ही खूबसूरत चित्रण जीवन में मोक्ष का

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  4. बहुत ही सुंदर कविता सर। जीवन की सुंदरता को दर्शाती एक एक पंक्ति।

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  5. सर, इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति। जीवन का सार निश्कर्ष, इस कविता के माध्यम से आपने प्रस्तुत किया है। मन प्रसन्न हो गया पढ़ कर. आपका मन से आभार

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  6. Dear Rajiv Ji,

    Your poem "मोक्ष" is a profound exploration of the concept of liberation, and I'm truly moved by the depth and insight you've conveyed through your verses. Each line you've penned reflects a unique facet of the spiritual journey towards Moksha, and I appreciate your ability to capture the essence of this profound pursuit.

    - Your opening lines create a sense of curiosity and contemplation, challenging the very idea of Moksha and its perception.

    - The second set of lines beautifully emphasize the personal and profound connection between Moksha and one's life, highlighting its innate beauty.

    - "मोक्ष आह्लाद, मोक्ष मेरा प्यार, मेरा दुलार" - These lines convey a deep sense of affection and devotion towards the concept of Moksha.

    - The line "मोक्ष मेरा संस्कार, सद्भाव व सदरभाव" underlines the importance of cultivating noble qualities and a positive outlook on the path to Moksha.

    - "मोक्ष समष्टि समर्पण, दरिद्र नारायण के प्रति यथाशक्ति अर्पण" reflects a selfless and compassionate approach towards the world, which is integral to the Jain philosophy.

    - Your portrayal of nature and its elements in connection to Moksha is vivid and evocative, adding a layer of depth to the poem.

    - The lines related to the stages of life resonate with the human experience and its role in the spiritual journey.

    - The emotions and experiences expressed in "मेरा हर्ष मेरा विषाद मेरी पीड़ा मेरा मर्म" are a testament to the richness of life and its impact on the pursuit of Moksha.

    - The line "अपनों का स्नेह, अपनों का अपनापन, अपनों का और-और का क्रंदन" beautifully encapsulates the significance of love, relationships, and shared emotions in the quest for Moksha.

    - Finally, your closing lines stress the importance of righteous actions, virtuous thoughts, and noble conduct, reminding us of the moral and ethical aspects of the spiritual journey.

    Arun

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  7. अद्भुत ,अलौकिक🙏
    *जीवन का हर पल मोक्ष*

    परमानंद दृष्टिकोण में है।

    अभीभूत करने वाली रचनाएं होती हैं आपकी सर।
    सादर नमन।

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  8. अति सुंदर अभिव्यक्ति🙏

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  9. मोक्ष पर आप के विचार सचमुच दिव्यता और आध्यात्मिकता की गहरी भावना को सुंदरता से प्रस्तुत करता है। जीवन के विभिन्न पहलुओं में मोक्ष की खोज कैसे की है, इसे बहुत ही सुंदरता से और संवेदनशीलता के साथ व्यक्त किया है, जैसे कि संगीत, सांगत्य, और ध्यान के माध्यम से। मोक्ष केवल एक सिद्धि नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के आचरण, संवाद, और भावनाओं में छिपा होता है।
    यह एक गहरी और धार्मिक अद्भुतता की अनुभूति को दर्शाता है और हमें यह याद दिलाता है कि हमारे अंदर की दिव्यता को जानने के लिए हमें अपने आचरण, संवाद, और भावनाओं के साथ काम करना होता है।

    धन्यवाद सर, अपने आध्यात्मिक यात्रा को हमारे साथ साझा करने के लिए।

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  10. This comment has been removed by the author.

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  11. बहुत ही प्रभावपूर्ण ,भावपूर्ण एवं प्रेरणादायी रचना !

    एक वात्सल्यहृदय कर्मयोगी ही ऐसी रचना कर सकता है l

    ऐसे ही अपने कलम की शक्ति से हमें प्रेरित करते रहें l

    आपके साथ काम करने का मौका मिला इसके लिए मैं ईश्वर को धन्यवाद देती हूं l
    🙏😊🙏 - Prof (Dr) Shalini Verma , Founder - SAMVAW Foundation

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